रविवार, 12 फ़रवरी 2017

महिलाओं के कानूनी एवं सामाजिक अधिकार: वर्तमान परिदृश्य

भारतीय संविधान में महिला एवं पुरूष दोनों को समानता का अधिकार दिया गया है। शारीरिक और मानसिक तौर पर अगर कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार से भेदभाव करता है तो यह असंवैधानिक माना गया है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था- "जब तक महिलाओं की स्थिति नही सुधरती है, तब तक विश्व कल्याण की बात सोचना बेमानी होगी, क्योकि किसी पक्षी के लिए एक डैने से उड़ना सम्भव नही होता।"
लेकिन भारत के पुरूष प्रधान समाज में महिलाओं की स्थिति में बहुत ज्यादा बदलाव नही आये हैं। महिलाओं के साथ लैंगिक भेदभाव की वजह से आधी आबादी को उन अधिकारों से वंचित रहना पड़ता है, जिन्हें संविधान प्रदत्त प्रावधानों के अलावा समय समय पर बनाये गए कानूनों एवं उनमे किये गए संशोधनों के जरिये उपलब्ध कराये गए हैं।

भारतीय संविधान में महिलाओं के लिए अनुच्छेद:-
1. अनुच्छेद 14 से 18 में देश के प्रत्येक नागरिक को समानता का अधिकार।
2. अनुच्छेद 15 (3) के अनुसार कोई बात राज्य की स्त्रियों एवं बालकों के लिए कोई विशेष उपबंध करने से निवारित नहीं करेगी।
3. अनुच्छेद 15 के अनुसार ही धर्म, जाति, लिंग आदि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।
4. अनुच्छेद 23 के अनुसार मानव का दुर्व्यापार, बेगार प्रथा इसी प्रकार का अन्य बलात श्रम प्रतिषिद्ध किया जाता है।
5. अनुच्छेद 24 के अनुसार 14 वर्ष से कम आयु के लड़के एवम लड़कियों को कारखाने या खान में या अन्य किसी परिसंकटमय नियोजन काम करवाना अपराध है।

भारतीय संविधान में महिलाओं के लिए बनाए गए प्रमुख कानून:-
1. दहेज निवारक कानून:- यह कानून 1961 में पारित हुआ। इस कानून के अंतर्गत किसी भी महिला को दहेज लाने के लिए प्रताड़ित नहीं किया जा सकता तथा दहेज लेना एवं देना जुर्म है।
2. घरेलू हिंसा रोकथाम कानून:- इस कानून के तहत कोई भी महिला जिस पर घरेलू हिंसा हुई है, वह पुलिस स्टेशन जाकर इसकी FIR दर्ज करा सकती है।
3. प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का कानून:- अनुच्छेद 21 एवं 22 दैहिक स्वाधीनता का अधिकार प्रदान करते हैं एवं हर व्यक्ति को अपने शरीर एवं प्राण की सुरक्षा का हक है।
4. स्वरोजगार का अधिकार:- संविधान के अनुच्छेद 16 में स्पष्ट शब्दों में लिखा गया है हर व्यस्क लड़की एवं महिला को कामकाज के बदले वेतन प्राप्त करने का अधिकार पुरुषों के बराबर है।
5. राजनीतिक अधिकार:- कोई भी महिला चुनाव प्रक्रिया में भाग ले सकती है तथा वोट देने के लिए पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त है।
6. संपत्ति का अधिकार:- कोई भी बेटी अपने पिता की संपत्ति पर अपना अधिकार मांग सकती है तथा पिता भी अपनी इच्छा अनुसार अपनी संपत्ति अपनी पुत्री के नाम पर कर सकता है।
7. कार्य स्थल पर सुरक्षा संबंधी कानून:- कार्यस्थल पर महिलाओं को सुरक्षित वातावरण प्रदान करने के लिए सरकार ने कार्यस्थल पर महिला यौन उत्पीड़न रोकथाम निषेध और निवारण कानून बनाया है। इसके अंतर्गत एसिड हमला, यौन-उत्पीड़न, महिला के कपडे उतरवाना, छिपकर पीछा करना, नग्न घुमाना ऐसे विशिष्ट अपराधों के करने पर सजा हो सकती है।

निष्कर्ष:-
प्रत्येक देश की आधी आबादी महिलाओं पर आधारित होती है, लेकिन यह एक विडंबना ही है कि समाज में महिलाओं की स्थिति अत्यंत विरोधाभासी रही है। एक तरफ तो उसे शक्ति के रूप में प्रतिष्ठित किया जाता है, वहीं दूसरी तरफ उसके खिलाफ अपराध और हिंसा की जाती है। इसलिए महिलाओं को जागरुक होकर उनके लिए बनाए गए कानूनों को जानकर उन्हें प्रयोग करना चाहिए तथा अपराधियों को सजा दिलवानी चाहिए।

हर्षित चंदेल
B.A. Final
परिष्कार कॉलेज

2 टिप्‍पणियां:

  1. धन्यवाद् मेम मेरे लेख को ब्लॉग पर जगह देने के लिए

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  2. Yanhe Sirf women's ki sefty ki sab baate karte hai but jab karni hoti hai tb police wale bhi help nahi karte

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