शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2017

क्यों है आर्थिक सर्वेक्षण की आवश्यकता

केंद्रीय बजट 2017-18, 1 फरवरी को पेश किया गया। बजट पेश करने से पहले हमेशा ही आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाता है। आर्थिक सर्वेक्षण, वित्त मंत्रालय द्वारा पेश की गई देश की आर्थिक स्थिति की जानकारी देता है। जहां बजट आगामी वर्ष का होता है। वही आर्थिक सर्वेक्षण बीते वर्ष का होता है। इस सर्वेक्षण के तहत देश की आर्थिक स्थिति का पूरा ब्यौरा पेश किया जाता है। इसमें बीते एक साल में देश के विकास, किस क्षेत्र में कितना निवेश, कितना विकास, योजनाओं का क्रियान्वन कैसा रहा जैसे कई अहम पहलूओ के बारे में जानकारी दी जाती है। वही सर्वे में अर्थव्यवस्था, पूर्वानुमान और नीतिगत स्तर पर की गई चुनौतियों पर विस्तृत जानकारी दी जाती है। साथ ही किस क्षेत्र की स्थिति कैसी है और सुधार के लिए क्या रूप रेखा या उपाय अपनाए जाए। आर्थिक सर्वेक्षण एक  तरह से भविष्य में बनाई जाने वाली नीतियों के एक दृष्टिकोण का काम करता है। यह एक तरह से देश की आर्थिक स्थिति का आईना होता है । ऐसे मे इसकी मदद से आगामी बजट में किन क्षेत्रों पर फोकस किया जाना है, इसकी एक झलक मिल जाती है। हालांकि यह सर्वेक्षण सिफारिशों के रुप में प्रस्तुत किया जाता है। जिसे मुख्य आर्थिक सलाहकार के साथ वित्त और आर्थिक मामलों की जानकारी रखने वाली टीम तैयार करती है। परंतु इस पर कोई कानूनी बाध्यता नहीं होती है। इस वर्ष के लिए आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम है।

संगीता मेहरिया
बी.ए. तृतीय वर्ष
परिष्कार कॉलेज

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें